Sakat Chauth ki Kahani in Hindi 2024

सकट चौथ: व्रत का आधार और महत्व (Sakat Chauth ki Kahani)

Sakat Chauth ki Kahani in Hindi

सकट चौथ, भारतीय पर्वों में एक विशेष पर्व है जो विशेषकर उत्तर भारतीय राज्यों में प्रसिद्ध है। यह पर्व हर वर्ष कृष्ण पक्ष की चौथी तिथि को मनाया जाता है और यह व्रत विशेष रूप से महिलायें रखती हैं। सकट चौथ का नाम सुनते ही एक सामान्य प्रश्नहर किसी के मन में उठता है – आख़िर क्या है इसका अर्थ और महत्व? तो आइए आज जानते हैं आखिर सनातन धर्म में क्यों मनाया जाता है सकट चौथ।

सकट चौथ (Sakat Chauth)का अर्थ:

सकट चौथ का अर्थ शब्द “सकट” से आया है, जिसका अर्थ होता है ‘दुख’ या ‘बाधा’। इस दिन व्रत करने का मुख्य कारण एक प्राचीन कथा से जुड़ा है जिसमें एक साधु का बच्चा दुर्घटना में शिकार हो जाता है और माता-पिता उसके लिए भगवान गणेश की पूजा करते हैं। इसे लोग सकट चौथ कहते हैं, क्योंकि “सकट” शब्द इस बाधा या दुख को सूचित करता है। गणपति बप्पा को विघ्न हर्ता मन गया है, जो आपके और मेरे सभी दुख, बाधा और कष्टों को दूर कर देते हैं। सकट चौथ के दिन विशेष कर हम इन्ही विघ्नहर्ता गणपति जी का उपवास रखते हैं, जिसे वे हमारे सारे कष्ट और बढ़ाओ को हर लें।

सकट चौथ

इस पर्व का महत्वपूर्ण तारीख और समय नक्षत्रों के आदान-प्रदान के आधार पर निर्धारित होता है, और इसे आधारित कथा का अनुसरण करता है।

यह साल कब और कैसे मनाये सकट चौथ?

सकट चौथ वर्ष भी हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह की चतुर्थी तिथि को मनाया जयेगा। वर्ष 2024 में सकट चौथ 29 जनवरी को पड़ रहा है। इस व्रत में निर्जला उपवास किया जाता है, यानी पूरे दिन कुछ नहीं खाते-पीते हैं। सुबह स्नान करके गणपति जी की पूजा की जाती है, जिसमें उन्हें दूर्वा, मोदक, फल आदि का भोग लगाया जयेगा। व्रत कथा पढ़ी जाएगी और शाम को चंद्र दर्शन के बाद व्रत का पारण किया जयेगा।

सकट चौथ की 3 रोचक कथाएं

कथा 1: भगवान गणेश के असीम कृपा की कहानी

कहानी के पात्र:

  1. साधु जी: गाँव के साधु (भगवान गणेश के भक्त)
  2. बच्चा (राजु): (साधु केआश्रम में रहने वाला बच्चा)
  3. माता-पिता (रमेश और सुमिता): बच्चे के माता-पिता।
कहानी:

बहुत साल पहले की बात है, गाँव में एक साधु जी थे ।वे भगवान गणेश जी के बहुत बड़े भक्त थे। उनका आश्रम गाँव के पास एक तालाब के किनारे स्थित था। साधु जी की तपस्या और भक्ति में खोया हुआ एक बच्चा, उन्हिके आश्रम में रहता था। बच्चे का नाम राजु था, और उसके माता पिता दूसरे गांव में रहा करते थे।

एक दिन, राजु आश्रम के पास के जंगल में खेती करने जाता है। खेती करते समय राजू एक दुर्घटना में फंस गया। उसके माता-पिता, रमेश और सुमिता, यह जानकर बहुत ही चिंतित हो गए ।माता-पिता ने साधु से मिलकर उनसे बच्चे की सुरक्षा के लिए प्रार्थना की। साधु जी ने उनकी परेशानी को देखकर,भगवान गणेश को प्रसन्न करने का निर्देश दिया और उनके परिवार को शांति की कामना की। भगवान श्री गणेश को प्रसन्न करने के लिए, साधु ने उन्हें उपवास रखने का निर्देश दिया।

उनकी श्रद्धा को देख भगवान गणेश खुश हुए। प्रसन्न होकर, भगवान ने राजू की रक्षा करते हुए सही सलामत वापस भेज दिया। इस घटना के बाद, लोग इस दिन भगवान गणेश की पूजा करके अपने परिवार की सुरक्षा की कामना करने लगे। इसी दिन को गाँववालों ने सकट चौथ के रूप में प्रसिद्ध किया, और सालों बाद यह पर्व आपसी भाईचारे और शांति की भावना के साथ मनाया जाता है।

इसके बाद से, हर साल गाँववाले भगवान गणेश की पूजा और व्रत करते हैं, जिससे उनके परिवार को  सुरक्षा मिले और सभी लोग खुश रहें। सकट चौथ लोगों के लिए एक बड़ा और धार्मिक त्योहार बन गया है।

कथा 2: भगवान गणेश का व्रत: शिव-पार्वती की कहानी

सकट चौथ
कहानी:

बहुत समय पहले की बात है, माता पार्वती के मन में ममता के करण एक ख्याल आया। माता पार्वती ने मिट्टी का एक सुंदर  सा बच्चा बना लिया, जिसका नाम उन्होने विनायक रख दिया। एक दिन माता पार्वती स्नान करने गई और उन्हें विनायक को निर्देश दिया की बिना उनके अनुमति के किसी को अंदर ना आने दिया जाये।

जब भगवान शिव अपने घर में लौटे, तो विनायक (गणपति जी) ने उन्हें रोक दिया, और बढ़ने से माना कर दिया। भगवान शिव ने बहुत समझाने का प्रयाश किया परंतु अहंकार में आकार गणपती जी ने उनकी एक ना सुनी। जिसे देख गुस्से में आए भगवान शिव ने उनके सिर को धड़ से अलग कर दिया। 

माता पार्वती ने इसे देखकर बहुत दुखी हुईं और रोते हुए भगवान शिव से विनती की कि वह अपने पुत्र को फिर से जीवित करें।

भगवान शिव ने रात्रि के अंधकार में एक हाथी का सिर लगाकर गणपति जी को फिर से जीवन दिया। इस प्रकार, गणपति को हाथी के सिर का रूप प्राप्त हुआ। इस घटना के बाद, लोग इस दिन को विशेष रूप से भगवान गणेश के व्रत के रूप में मनाते हैं, और अपने पुत्र संतान की लंबे आयु की प्रथना करते हैं।

कथा 3: भगवान गणेश का व्रत: चंद्रमा का अभिमान

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 कहानी:

एक समय की बात है, चंद्रमा में बहुत अहंकार आगया था। उसने अपनी चमक को देखकर सोचा कि वह ही सबसे सुंदर है। एक दिन, गणेश जी अपने मूषक पर बैठ कैलाश की और जा रहे थे । उसी समय गणेश जी मूषक से गिर पड़े और चंद्रमा उनपे हसने लगा। चंद्रमा का यह व्यवहार और घमंड देख गणेश जी उसको श्राप दे दिया। जिसके पश्चात चंद्रमा का तेज कम होने लगा। 

चंद्रमा श्री गणेश से क्षमा मांगने लगा जिसके बाद भगवान गणेश ने चंद्रमा को उसकी गलती का आत्म-समीक्षा करने का सुझाव दिया। गणेश जी ने यह भी बताया कि अभिमान से बचने के लिए हमें विशेष गुण और धर्म की प्राप्ति करनी चाहिए। चंद्रमा ने अपनी गलती का अहसास किया और भगवान गणेश से क्षमा मांगी।

इसके बाद, भगवान गणेश ने चंद्रमा को आशीर्वाद दिया कि उसकी चमक कम हो जाएगी, लेकिन वह सभी को बुद्धि और सुख का प्रकाश देगा। इसलिए, सकट चौथ पर चंद्रमा को अर्घ्य देकर हम बुद्धि और सुख का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

सकट चौथ का उत्सव

सकट चौथ, का उत्सव भारतीय नारीशक्ति के लिए एक विशेष महत्वपूर्ण और प्रिय पर्व है। इस दिन, सुबह से ही व्रत की शुरुआत होती है, जिसमें नीराजल उपवास रखा जाता है। सूर्योदय के बाद, व्रत करने वाली महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं, जिसमें पानी भी नहीं पीती हैं। रात को, चाँद की पूजा के बाद, महिलाएं उपवास को खोलती हैं और फिर भगवान गणेश और चंद्रमा की पूजा करती हैं। इसके बाद, परिवार के सभी सदस्यों के साथ खाना खाया जाता है।

इस उत्सव में आराध्य भगवान गणेश की मूर्तियों की सजाकर रखी जाती हैं और उन्हें फूल, चावल, दूध, दही, मिठाई, फल, बताशे, आदि से सजाया जाता है। भक्ति भावना के साथ इस उत्सव को मनाने से व्रती को और भी शक्ति और साहस मिलता है, जो उसे जीवन की दुर्घटनाओं से सामना करने में मदद करता है।

समापन

सकट चौथ, भारतीय सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है जो महिलाओं के बीच विशेष प्रतिष्ठा और आदर का भाव करता है। इसे समर्पण के साथ मनाया जाता है , परिवार में सुख-शांति बनाए रखने का एक अद्वितीय तरीका है। इसे और भी विभिन्न नामो से जाना जाता है, जैसे संक्रांति चौथ, माघी चौथ, संतान चौथ, तिलकुटा चौथ, गौरी चौथ तथा वैशाखी चौथ

यह व्रत एक विशेष महत्व रखता है उन महिलाओं के लिए जिनको संतान प्राप्ति में विघ्न आरहा। इस व्रत से संतान को लंबी आयु और निरोगी जीवन मिलता है। माताएँ अपनी संतान के लिए यह उपवास बड़े ही धूम धाम से रखती हैं।

भगवान गणेश की कृपा से सभी को सुख, समृद्धि, और समृद्धि प्राप्त हो। यह व्रत समृद्धि और समृद्धि की प्राप्ति के लिए आशीर्वादपूर्वक होता है और समाज में एक मजबूत और समर्थ नारी शक्ति का परिचायक है। इसी प्रकार की अन्य कहानियों के लिए जुड़े रहिए Your Free Images के साथ।

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