Makar Sankranti: मकर संक्रांति मनाने का सही दिन और मनाने के 4 कारण

मकर संक्रांति (makar sankranti) अथ्वा उत्तरायण, एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है सनातन धर्म में। इस त्यौहार को आम तौर पर 14 जनवरी को मनाया जाता है। इस दिन बच्चों की छुट्टी होती है और बच्चों के बीच ये त्यौहार काफ़ी कठोर और उल्लास से मनाया जाता है।

संक्रांति को और भी कई नाम से जाना जाता है। संक्रांति के और नाम हैं- संक्रांति, मकर संक्रामण, उत्तरायण, पौस संक्रांति, माघी, ताई पोंगल तथा खिचड़ी। वैसे तो यह उत्सव सनातन धर्म में प्रचलित है परंतु भारत के अलावा भी कई देश हैं जहां लोग संक्रांति मनाते हैं।

देश जहां मनायी जाती है मकर संक्रांति (Makar Sankranti)

आज हम भारत के अलावा किस देश के लोग मनाते हैं संक्रांति।

  • बांग्लादेश: बांग्लादेश में इस त्योहार को पौस संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
  • नेपाल: नेपाल में इस त्यौहार को माघी तथा माघे संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
  • लाओस: लाओस के लोग इसे पी मा लाओ के नाम से पुकारते हैं।
  • श्रीलंका: श्रीलंका में इसको पोंगल नाम से पुकारते हैं।
  • थाईलैंड: थाईलैंड के लोग इसे सोंगकरन नाम से जानते हैं।
  • कंबोडिया: कंबोडियन इसे मोहा संगक्रान नाम से बुलाते हैं।
  • म्यांमार: म्यांमार के लोग इसे थिंयान नाम से मनाते हैं।

उत्तरायण मनाने के 4 कारण

1. सूरज का मकर राशि में प्रवेश

अगर इसे ज्योतिष की दृष्टि से देखें, तो मकर संक्रांति के ही दिन सूर्य (जो कि नवग्रह में से एक है) मकर राशि में प्रवेश करता है। मकर राशि जिसको अंग्रेजी में Capricorn भी कहा जाता है, 12 राशियों में से दसवें स्थान पर आता है।

2. ऐतिहासिक दृष्टिकोर्न

यदि ऐतिहासिक दृष्टिकोर्न से देखा जाए तो आज के दिवस सूर्य देवता अपने छोटे पुत्र शनि देव के घर उनसे मिलने गए थे। शनि देव (Saturn) मकर और कुंभ राशि के स्वामी माने गए हैं। इस वजह से भी इस पर्व को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है।

3. सूर्य का दक्षिण से उत्तर में प्रवेश

यदि इसे खागोलिये दृष्टि से समझे, तो संक्रांति के दिवस पर सूरज की किरण दक्षिणी गोलार्ध से उत्तरी गोलार्ध में तेजी हो जाती है। जिस करण से इस पर्व को उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है।

4. महाभारत काल से जुड़ा रहस्य

महाभारत के पात्र भीष्म पितामह को शायद आप जानते होंगे। अगर नहीं जानते तो भीष्म महाभारत के एक पात्र हैं जिनका असल नाम देवता है। भीष्म कौरवों और पांडवों के चचेरे दादाजी थे। भीष्म पितामह ने उत्तरायण के दिन ही अपने देह का त्याग किया था।

पतंगो का पर्व

वैसे तो पतंग उड़ाने के पीछे कोई ऐतिहासिक कारण नहीं है। परन्तु सनातन धर्म में कोई भी चीज़ करने के पीछे कोई न कोई कारण अवश्य होता है। पतंग उड़ाने के पीछे भी एक वैज्ञानिक कारण है। सूर्य पृथ्वी पर ऊर्जा का अंतिम स्रोत है। हमारे शरीर को विटामिन और खनिजों की आवश्यकता होती है। अन्य सभी विटामिन कुछ खाद्य पदार्थ खाने और पीने से प्राप्त किए जा सकते हैं। लेकिन सूर्य की रोशनी से केवल विटामिन डी ही प्राप्त होता है।

पतंग उड़ाते समय हमारे शरीर को पर्याप्त मात्रा में धूप मिलती है। जो हमारी हड्डी को मजबूत रहने में मदद करता है। लोगों को, खासकर बच्चों को पतंग उड़ाना बहुत पसंद होता है। पतंग के साथ-साथ लोग विभिन्न मिठाइयाँ भी खाते हैं जो गुड़, तिल और मुरमुरा (मुढ़ी या लाई) से बनी होती हैं। इस त्योहार पर खिचड़ी बनाना अनिवार्य है. जिस कारण से उत्तर प्रदेश में यह त्यौहार खिचड़ी के नाम से प्रसिद्ध है।

मकर संक्रांति इस साल कब मनाई जाएगी (2024)

इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी पंचांग तिथि के अनुसर। मकर संक्रांति पुण्य काल सुबह 7:15 बजे से शाम 05:46 बजे तक रहेगा। जो 10 घंटे 31 मिनट का समय है। आप सभी को 2024 मकर संक्रांति की शुभ कामनाएं।

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