आज नवरात्रि का तीसरा दिन है। आज हम जानेंगे की नवरात्रि का तीसरा दिन क्यों माँ चंद्रघंटा (Maa Chandraghanta )को समर्पित है और साथ ही यह भी जानेंगे की कैसे माँ को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाए। नवरात्रि एक बहुत ही पावन पर्व है जिसको पूरे भारत समेत कई अन्य देशों में बड़े ही उल्लास से मनाया जाता है। नवरात्रि का त्योहार एक बहुत ही बेहतरीन उदाहरण है नारी शक्ति का। आज भारत समेत कई देश नारी सशक्तिकरण की बात कर रहे, वहीं प्राचीन भारत में नारी को खुद शक्ति का श्रोत माना गया है ।
माँ चंद्रघंटा का परिचय (Introduction to Maa Chandraghanta)
मां चंद्रघंटा की पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन की जाती है। देवी का यह स्वरूप शाहस और शक्ति के साथ विजय का भी प्रतीक है।
माँ चंद्रघंटा के नाम का अर्थ (Meaning of Maa Chandraghanta’s name)
माता का यह नाम दो शब्दों से मिल के बना है: चंद्र और घंट। चंद्र का अर्थ है जिसमे चंद्रमा सी शीतलता हो, चंद्रमा सी जो सौम्य हो, जिसमे चंद्रमा सी शांति हो। घंट का अर्थ है घंट जो मन्दिरों में लगे होते हैं उनसे निकालने वाली ध्वनि ।
चंद्रघंटा का पूरा अर्थ है चंद्रमा सी शीतल, शांत ,सौम्य और मंदिरों से निकलने वाली दिव्य ध्वनि । जिस प्रकार जब मंदिरों में बंधे घंट की ध्वनि से सभी नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है उसी प्रकार माँ चंद्र घंटा का भी नाम लेने से सभी नकारात्मकता का नाश होता है और चंद्रमा सी शीतलता प्राप्त होती है।
माँ चंद्रघंटा का रूप और प्रतीक चिन्ह (Roop of Maa Chandraghanta)
- आपने माता रानी की कई तस्वीरें देखि होंगी। उन तसवीरों में आपने देखा होगा की माँ कैसे राक्षसों का संघार करती हैं। परंतु माता चंद्रघंटा का रूप पूरी तरह से विपरीत है।
- माँ चंद्रघंटा का रूप बहुत ही सौम्य और शांत है। माता की 10 भुजाएँ हैं (10 हाथ हैं ), और माता के ललाट पे अर्ध चंद्र है (जैसे महादेव के सर पर उपस्थित है )।
- माता के हाथों में कमल का फूल, गदा, त्रिशूल, धनुष, कमंडल, वज्र,तलवार और घंटा (Bell ) है । माँ चंद्रघंटा की सवारी एक व्याघ्र है। इसी बाघ पे सवार होकर माता सभी नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश करती हैं।
तीसरे दिन का रंग और उसका महत्व (Color of the Third Day of Navratri and its Significance)
नवरात्रि पर्व की एक बड़ी ही खास बात है। इस पर्व पे हर दिन आपको नए रंग के कपड़े पहनने होते हैं और अलग-अलग रंगों का एक खास महत्व है। आइए जानते हैं की नवरात्रि एक तीसरे दिन कोनसा रंग पहनना चाहिए ।
माँ चंद्रघंटा : स्लेटी रंग और शांति का प्रतीक
नवरात्रि का तससेरा दिन माँ चंद्रघंटा को समर्पित है और माँ का स्वभाव बाद ही सौम्य और सरल है। माँ के ललाट पे एकआधा चंद्रमा भी सुशोभित है इसी कारण नवरात्रि के तीसरे दिन हम सभी को स्लेटी (Grey) रंग पहनना चाहिए।
स्लेटी रंग को बड़ा ही पवित्र रंग माना गया है। स्लेटी रंग को अक्सर पवित्रता, शांति और संतुलन का प्रतीक माना जाता है। वैदिक शस्त्रों के अनुसार स्लेटी और सफेद रंग को सत्विकता से भी जोड़ा गया है । नवरात्रि के तीसरे दिन स्लेटी अथवा सफेद रंग पहनने से आपके जीवन से सभी नकारात्मक उरजाओं का नाश होता है और जीवन में एक नई शुरुवात होती है।
बीज मंत्र और आराधना मंत्र (Beej Mantra and Aradhana Mantra)
माँ चंद्रघंटा का बीज मंत्र:
"ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।।"
इस बीज मंत्र में तीन शक्तिशाली ध्वनिया है, जो माँ चंद्रघंटा की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उच्चारित किया जाता है।
ध्वनिया और उनका अर्थ 'ऐं': विद्या और ज्ञान की देवी सरस्वती का प्रतीक। 'ह्रीं': शक्ति, आध्यात्मिक जागृति और आंतरिक शुद्धता का प्रतीक। क्लीं': प्रेम, आकर्षण और आध्यात्मिक प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है।
माँ चंद्रघंटा का आराधना मंत्र: "पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥"
मंत्र जप विधि:
इस मंत्र को माँ चंद्रघंटा का बीज मंत्र और आराधना मंत्र कहा गया हु। बीज मंत्र और आराधना मंत्र का जाप करते समय ध्यानमग्न होकर बैठना चाहिए। मंत्रों का उच्चारण सुबह या शाम (सूर्यस्थ के समय ) एकांत और पवित्र स्थान पर किया जाना चाहिए। आपको 108 बार मंत्र का जाप करने के बाद माँ को अक्षत, फूल, और धूप अर्पित करनी चाहिए।
माँ चंद्रघंटा की कथा (Story of Maa Chandraghanta)
माँ चंद्रघंटा, माँ दुर्गा के नव रुपे से एक है। पौराणिक कथाओ के अनुसार माता पार्वती ने महादेव को पाने के लिए कई वर्षों तक तप किया था।
जब माँ पार्वती की तपस्या पूर्ण हुई, महादेव ने माता पार्वती को अपनी अर्धांगिनी (पत्नी) के रूप में स्वीकार करने का निर्णय लिया। माँ पार्वती और महादेव के विवाह के समय, माँ पार्वती की माता (माँ मैनवाती) महादेव का विकराल रूप देख कर मूर्छित हो गयी। माता पार्वती ने निर्णय लिया की वे महादेव को एक सुंदर और सौम्य रूप लेने के लिए प्रेरित करेंगी। जिसके लिए माँ पार्वती ने माँ चंद्रघंटा का रूप धारण किया।
माँ चंद्रघंटा में बहुत सौम्यता और शांति है। माँ के इस रूप से प्रेरित होके महादेव ने अपना चंद्रशेखर रूप धारण किया।
पूजा विधि (Puja Vidhi of Maa Chandraghanta)
- स्नान करके शुद्ध कपड़े (धोए हुए साफ कपड़े ) पहनें और पूजा स्थल को शुद्ध करें।
- कलश स्थापना करें (यदि पहले दिन नहीं किया है तो ), उसमें जल, सुपारी, फूल और सिक्के रखें, ऊपर नारियल रखें।
- माँ चंद्रघंटा का ध्यान करते हुए ‘ॐ चंद्रघंटायै नमः’ मंत्र का जाप करें।
- माँ की प्रतिमा या चित्र को लाल या सुनहरे वस्त्र अर्पित करें।
- चंदन, कुमकुम, अक्षत, फूल, धूप और दीप अर्पित करें। मिठाई, फल, नारियल, और पंचामृत चढ़ाएंघी का दीपक जलाकर माँ की आरती करें।
- घंटी बजाकर पूजा स्थल की परिक्रमा करें’ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे’ या ‘ॐ चंद्रघंटायै नमः‘ का जाप करें।
- प्रसाद को बाँट दें और पूजा के बाद थोड़ी देर ध्यान करें।
पूजा सामग्री की सूची (List of Puja samagri of Maa Chandraghanta)
- दीपक (मिट्टी या धातु का) (Diya)
- अगरबत्ती अथवा धूपबत्ती (Incense stick / Agarbatti / Dhoop Batti)
- चंदन (चंदन का पेस्ट या लकड़ी) (Sandalwood)
- फूल (सफेद और लाल फूल) (Flowers)
- फल (अपनी पसंद अनुसार) (Fruits)
- मिठाई, जैसे कि लड्डू (Sweets)
- पानी / जल (एक छोटे लोटे में) (2-3 बूंद गंगाजल की मिल लें) (Water)
- कलश (पवित्र जल के लिए) (Kalash)
- रोली (सिंदूर) (Vermillion)
- चावल (Rice)
- ताम्बूल (पान और सुपारी) (Betal leaves and supari)
आरती माँ चंद्रघंटा की (Aarti of Maa Chandraghanta)
जय माँ चंद्रघंटा, जय माँ चंद्रघंटा। सदा सुखदायी, ये भक्ति की जन्ता। जगजननी, जग में तेरा नाम बड़ो, दुख से निजात दिला, तेरे चरणों में चढ़ो। घंटा बजा, चंद्रमा की छवि है प्यारी। कभी ना हो कम, तेरा आशीर्वाद हमारी। विजय की देवी, दुर्गम के संकट हरती। जय माँ चंद्रघंटा, सदा सुखदायी, ये भक्ति की जन्ता। अमंगल का नाश हो, तेरा नाम सुनाई दे। तेरे चरणों में जो बहे, हर समस्या मिटाई दे। तेरा ध्यान जो करें, सदा सुख पाई। जय माँ चंद्रघंटा, सदा सुखदायी, ये भक्ति की जन्ता।
माँ चंद्रघंटा से प्राप्त होने वाले आशीर्वाद (Blessings of Maa Chandraghanta)
माता रानी का नाम ही इतना निराला है की खाली उनका नाम लेने से इंसान के सभी कष्ट, विकार दूर हो जाते हैं। माँ चंद्रघंटा स्वयं माँ दुर्गा के नौ रूपों में से एक हैं । माँ चंद्रघंटा, माता रानी का एक सौम्य रूप है । कहा जाता है की आप जिसकी पूजा करते हैं उनका स्वभाव आप में झलकने लगता है। माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से मनुष्यों को माँ हर संकट से बचाती हैं । जो इंसान माँ के इस स्वरूप की पूजा करता है उनको माँ के इन विशेष आशीर्वाद की प्राप्ति होती है :
- भय से मुक्ति : माता रानी का चंद्रघंटा स्वरूप का नाम लेने से इंसान अपने भय पर विजय प्राप्त कर लेता है ।
- मानसिक तनाव से मुक्ति : माँ का यह रूप अत्यंत शांत और सरल है। ये रूप की पूजा करने से मनुष्यों के मानसिक तनाव तथा मानसिक विकार दोनों ही दूर होते हैं।
- मानसिक सपस्तता : जब मनुष्य मानसिक तनावों से मुक्त रहता है उस समय किसी भी निर्णय को लेने में शक्षम रहता है। मनुष्य को माँ का यह नाम लेने से शांति और मानसिक सपस्तता मिलती है।
- रुकावटों का निवारण : माँ चंद्रघंटा बहुत ही कृपालु हैं । वे अपने भक्तों के सभी रुकावटों का निवारण कर देती हैं ।
- साहस और शांति की अनुभूति : जब मनुष्यों के सभी विकार खतम हो जाते हैं तब मनुष्य को शांति की अनुभूति होती है। माँ का कोई भी रूप हो, चाहे विकराल रूप हो, चाहे सौम्य रूप, माता रानी को शक्ति का श्रोत माना गया है। माता रानी के किसी भी स्वरूप की पूजा करने से इंसान में एक नया उल्लास और साहस का प्रवाह होता है।
सारांस
नवरात्रि एक बहुत ही अनोखा त्योहार है। नवरात्रि का त्योहार खाली दुर्गा पूजा, मेला, और व्रत तक सीमित नहीं है। नवरात्रि से हमको माता रानी के नव रूपों के बारे में जानने को मिलता है । माता रानी के नव रूपों में से तीसरा रूप चंद्रघंटा (Maa Chandraghanta) का है। माँ का यह रूप देख कर प्रेरणा मिलती है की कैसे साहस होते हुए भी मनुष्य शांत भी हो सकता है। किसी भी समस्या का समाधान बिना घबराए शांति पूर्वक भी लिया जा सकता है।
हमे यह भी जानने को मिला की नवरात्रि के तीसरे दिन हमे स्लेटी अथवा सफेद रंग के वस्त्रों को पहनना चाहिए। माता के इस स्वरूप के पूजन की विधि और बीज मंत्र का अर्थ भी हुमने जाना। इसके अलावा हुमने जाना की माँ चंद्रघंटा अपने भक्तों को क्या विशेष आशीर्वाद देती हैं और कैसे माता के इस स्वरूप को पूजने से मनुष्य को मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है।